कलेजा राजपूत का.
(जोश और जोर से पढें)
जब हम सिंहासन पर बैठते हैं तो,
राजा कहलातेहै ,
जब हम घोङे पर सवार होते तो,
योध्दा कहलाते है !
जब हम किसी की जान बचाते है तो, श्रत्रियकहलाते है!
जब हम किसी को वचन देते है तो "राजपुत"कहलाते है !
" मेरा कत्ल कर दोकोई शिकवा ना होगा,
मुझे धोखा दे दोकोई बदला न होगा,
पर जो आँख उठी मेरे वतन ए हिन्दुस्तान पे,
तो फिर
तलवार उठेगी और फिर कोई समझौता नहोगा...!! "
हमारी शख्सियत का अंदाज़ा तुम
क्या लगाओगे गालिब..,
गर हम कब्रिस्तान से भी गुज़रते है तो मुर्दे उठ
कर कहते है...
"जय माताजी की बना"
सर पे हे केसरिया साफा '
मुख पे हे सोने सी आभा'
जब हाथ मे लेते हैं तलवार
दुनिया करती है कोटि कोटि आभार !
जो मच्छर से डर जाता है,
उसका खून भी लाल होता है।
जो शेर से लड़ जाता है,
उसका खून भी लाल होता है।।
लेकिन एक अजब खून का
जलवा तो गजब पुत का होता है!!
जो मौत को भी ललकारे वो खून
राजपूत का होता है !
जमाने ने राजपूतो के
उसूल तो बदल दिये
पर
रगों मे खून आज
भी वो ही है.. ।।
झुंड मे रहने वालो आजमा कर
देखना कभी हमारी छाती पर फौलाद
भी पिघलता है।
शेर सा जिगरा है "राजपूत"
हमेसा अकेला निकलता है।
गुलामी तो हम सिर्फ अपने माँ बाप की करते है .!!
दुनिया के लिये तो कल भी बादशाह थे और आज
भी..!!
राजपूत उस बारिश का नाम नही जो बरसे और
थम जाये।
राजपूत वो सूरज नही है जो चमके और डुब जाये।
राजपूत नाम है उस साँस का।
जो चले तो जिंदगी और
थमे तो मौत बनजाये।...........
अभी तक हम इतने भी मामूली
नहीं हुये कि.....
किसी के दिल में बसना चाहे और वो इनकार करदे...."
जो मिटा सके हमारी शोहरत के पन्ने.......
वो दम किसी में कहाँ.
शुक्र है तलवारें म्यान के अन्दर है
वरना जो टिकसके
हमारें सामने वो सर कहाँ !!!
रानी नहीं तो क्या हुआ..
यह राजा आजभी लाखों दिलों पर राज करता हैं.!!
किसी ने पुछा
राजपूतों की जनसंख्या इतनी कम
क्यों है ?
राजपूत ने उतर देते हुए कहा - यह प्रकृति का नियम
है ,यदि शेरों (राजपूत)
को बढा दिया जाए
तो दुसरी प्रजातियाँ खतरे मे पड़ जाएगी ।।
कोशिश तो सब करते है,
लेकिन सबको हासिल
ताज नही होता ।
शोहरत तो कोई भी कमा ले,
पर"बन्ना "वाला
अंदाज नही होता ।
उस दिन भी कहा था
आज भी कह रहा हूं...
"उम्र छोटी है लेकिन
जज्बा दुनिया को मुट्ठी में
रखने का रखता हूँ ¶
मेरी दोस्ती का फायदा उठा लेना क्युंकी
मेरी दुश्मनी सह नही पाओगे....
हथियार तो सिर्फ शौक के लिए रखा करते है,
वरना किसी के मन में खौंफ पेदा करने के लिए
तो बस बन्ना "नाम" ही काफी है.......
लोग कहते है तुझे तेरी " बन्ना गीरी"
एक दिन मरवायेंगी...
मैने प्यार से कहा- क्या करु ?
सबको " बन्ना गिरी
आती नही
और मेरी जाती नही !......
सिंह का मुखौटा लगाकर कोई शेर
नहीं बनता...
भाला उठाकर कोई राणा प्रताप
नहीं बनता...
रणभूमी में पता चलता हे योद्धाओ का...
मुछो की मरोड़ी लगाने से कोई राजपूत
नहीं बनता...
कुछ हुनर खून में होते हैं जो सिखाये
नहीं जाते...
यु दंड बैठक लगाने से कलेजा राजपूत
का नहीं बनता...
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